बच्ची काे लकवा हुआ तो पिता ने दाग दिया; बच्ची की हालत नाजुक, पिता बोले-देवता कहेंगे तभी इलाज

बीमार बच्चाें काे दागने का अंधविश्वास झेल रहे भीलवाड़ा के काेटड़ी क्षेत्र के काेदिया में मंगलवार काे एक चिंताजनक घटना हुई। 15 साल की बच्ची काे लकवा हाेने की सूचना पर अारसीएचअाे डाॅ. सीपी गाेस्वामी गांव में जांच करने पहुंचे। बच्ची की सेहत देखकर वे हैरान रह गए। बच्ची प्लास्टिक के कट्टे पर लेटी थी। लकवा के साथ-साथ शरीर पर जगह-जगह फाेड़े हाे गए। घावाेें पर मिट्टी लगाई हुई थी। घावाें में कीड़े पड़े गए थे। उन्हाेंने बच्ची के पिता काे भीलवाड़ा के महात्मा गांधी हाॅस्पिटल में भर्ती कराने के लिए कहा। पिता रतनलाल भील ने पहले हां की, लेकिन बाद में मना कर दिया।


लिखित में दिया- यदि बच्ची काे कुछ हाे जाता है ताे जिम्मेदार मैं 


' बच्ची के पिता ने लिखा कि मेरे घर डाॅक्टर आए। उन्हाेंने बच्ची के इलाज के लिए भीलवाड़ा के एमजी हाॅस्पिटल में भर्ती कराने के लिए कहा। इसके बाद काेटड़ी से एक टीम एंबुलेंस लेकर अाई। उन्हाेंने बच्ची काे हाॅस्पिटल ले चलने के लिए कहा लेकिन मेरे कुछ देवता व खेती की परेशानी हाेने की वजह से मैं बच्ची काे अभी नहीं ले जा सकता। मैं पांच या छह दिन बाद बच्ची काे ले चलूंगा। मेरी बच्ची का इलाज करवाना है इसके लिए मैं देवता से पूछूंगा। यदि देवता मुझे इलाज के लिए बाेल देंगे ताे मैं बच्ची काे इलाज के लिए ले जाऊंगा। इन दिनाें में यदि मेरी बच्ची काे कुछ हाे जाता है उसका जिम्मेदार मैं खुद रहूंगा।'  सादे कागज पर लिखे इस इकरारनामे पर बच्ची के पिता रतन व माता मथरा भील के अंगूठे के निशान हैं। मेडिकल टीम के हस्ताक्षर अाैर गांव के लाेगाें के बताैर ग्वाहाें के अंगूठे के निशान भी हैं।


मेडिकल टीम भेजी ताे भर्ती करने से पिता ने मना किया: डॉक्टर
डाॅ. गाेस्वामी ने बताया कि सूचना मिलने पर वे मंगलवार दाेपहर दाे बजे गांव में रतनभील के घर पर पहुंचे। बच्ची के बारे में झातला माता मंदिर से पता चला। पैरालिसिस की जानकारी हाेने पर नियमानुसार चिकित्सा टीम काे जांच करनी हाेती है। यह जांच पाेलिया के संभावित मरीजाें की की जाती है। बच्ची की दयनीय स्थिति पर पिता से बात की ताे वे पहले ताे उसे हाॅस्पिटल में भर्ती कराने के लिए तैयार हाे गए लेकिन जब मेडिकल टीम भेजी ताे मना कर दिया।